जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥
आज के युग में शिव चालीसा पाठ व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शिव चालीसा लिरिक्स की सरल भाषा के मध्यम भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
अर्थ: माता मैनावंती की Shiv chaisa दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी Shiv chaisa छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन